LIMELIGHT BAREILLY NEWS: तहसील फरीदपुर के गांव रजऊ परसपुर और रसुइया के बीच जंगल मे मौजूद है बाबा का मज़ार।
बताया जाता है कि बाबा अल्लाह के नबी हज़रत नूह अलैहिस्सलाम के दौरे ज़माना में मदीने से हिन्दोस्तान तशरीफ लाये। और दीने इस्लाम की खिदमात को अंजाम देते रहे। यह भी कहा जाता है कि आप नौ गज लंबे थे। आप ने पूरी जिंदगी दीन की खिदमत की। लोगों को भाईचारे और मुहब्बत का पैग़ाम दिया। यही वजह है कि आज उनके मज़ार पर हर धर्म के लोग आते हैं और अपनी मुरादे पाते हैं। हिन्दू मुस्लिम एकता की पहचान नौगजा पीर बाबा का उर्स सभी धर्मों के लोग बड़ी धूमधाम के साथ मानते हैं।
अंजुमन खुदमते नौगजा पीर बाबा के अध्यक्ष तस्लीम अली ने बताया कि लगभग सौ सालों से बाबा का उर्स होता आ रहा है। कोषाध्यक्ष रहमत खान निवासी सैदपुर लशकरीगंज ने बताया कि बड़ी ही सुकून के साथ यह उर्स मनाया जाता है।
मेराज अली गुड्डू, महेन्द्र सिंह यादव, मो नजीब, परसौना से हनीफ अली, तसब्बर अली निवासी ग्राम जेड, आदि की उर्स में मुख्य भूमिका रहती है।
आपको बता दें कि उर्स के पहले दिन से ही मज़ार पर गुलपोशी और चादरपोशी का सिलसिला शुरू हुआ और कुल वाले दिन तक रहता है। इस दिन मज़ार को दुल्हन की तरह सजाया जाता है। उर्स के मेले में औरतों और बच्चों ने जमकर खरीदारी की और झूले का लुत्फ उठाया।
उर्स के आखरी दिन कुल शरीफ की रस्म अदा की गई। जिसमे कव्वालों ने अपने कलाम पढ़े। आखिर में मुल्को मिल्लत के लिए दुआए खैर की गई। मेले में सुरक्षा की दृष्टि से बिथरी पुलिस पैनी नज़र बनाये रही।