गुज़िश्ता बरेली: फ्री विल चर्च जहां दफन है IIT रुड़की का सपना सच करने वाला गवर्नर थॉमसन

बरेली कैंट स्थित फ्री वैल बेपटिस्ट चर्च स्वतंत्रता संग्राम का साक्षी रहा है। स्वतंत्रता संग्राम के क्रांतिकारियों ने इस चर्च पर आक्रमण कर इसको तोड़ फोड़ कर जला दिया था। 40 लोग मारे भी गए थे।

  • ईस्ट इंडिया कम्पनी के गवर्नर जेम्स थॉमसन की मृत्यु बरेली में हुई थी। इस अंग्रेज गवर्नर को भी इसी चर्च में दफनाया गया था और इस गवर्नर भी कब्र भी यहां बनायी गयी थी। जेम्स थॉमसन 1843 में नार्थ वेस्टर्न प्रोवियन्स के लेफ्टिनेंट गवर्नर हुए थे।
  • गवर्नर के रूप में जेम्स थॉमसन ने भारतीय शिक्षा प्रणाली के लिए और महिलाओं की शिक्षा के लिए अभूतपूर्व काम किये थे।
  • आईआईटी रुड़की और आगरा का एसएन मेडिकल कॉलेज भी इसी अंग्रेज गवर्नर जेम्स की देन है।


GUZISHTA BAREILLY: बरेली जिले के सभी प्रमुख चर्च अपने अंदर एक इतिहास को समेटे हुए हैं। बरेली कैंट स्थित फ्री विल बेपटिस्ट चर्च 184 साल पुराना चर्च है। 1838 में ब्रिटिश बिशप डैनियल विल्सन कोलकाता से बरेली आए थे और उन्होंने ही इस चर्च का निर्माण कराया था। उसके बाद बरेली के अंग्रेजों में यह चर्च एक प्रमुख स्थान बन गया था।

James Thomason: wikimedia image

1857 में जब पहला स्वतंत्रता संग्राम शुरू हुआ था और आंदोलन की चिंगारी मेरठ से होती हुई. रोहिलखंड, कानपुर और लखनऊ पहुंची तब बरेली के क्रांतिकारियों की नजर इस चर्च पर पड़ी और उन्होंने 31 मई अट्ठारह सौ सत्तावन को इस चर्च पर हमला कर दिया। ये हमला अंग्रेजों की सत्ता को चुनौती देने के लिए था। हमले के वक्त चर्च में प्रशासनिक अधिकारी जॉर्ज डेवी रेक्स कई लोगों सहित प्रार्थना कर रहे थे। इस हमले में ईसाई समुदाय के लगभग चालीस लोग मारे गए थे। मरने वालों में तत्कालीन पादरी, उनकी पत्नी और उनका 8 वर्षीय बेटा भी था। इस हमले ने ब्रिटिश हुकूमत को हिला कर रख दिया था।

इस चर्च पर हमला करने के बाद इस चर्च को तोड़ फोड़ कर ध्वस्त कर दिया गया था और इसमें आग लगा दी गई थी। ये चर्च पूर्णता बर्बाद हो गया था।

चर्च को तोड़ फोड़ कर ध्वस्त कर दिया गया था

इस चर्च पर हमला करने के बाद इस चर्च को तोड़ फोड़ कर ध्वस्त कर दिया गया था और इसमें आग लगा दी गई थी। ये चर्च पूर्णता बर्बाद हो गया था। हमले में ध्वस्त हुए इस चर्च को दोबारा बनाया गया और इस चर्च में बंदूक ले जाने की इजाजत अंग्रेजों को दी गई थी। बंदूकों को टांगने के लिए चर्च में नई बैंच भी लगाई गई जिसमें बंदूक टांगने का कुंडा भी लगाया गया था। यह एक नई मिसाल थी कि इबादत घरों में किसी भी हथियारों को ले जाने की। पूजा घरों में हथियारों की बाहर ही रखा जाता था।

1857 के गदर का साक्षी यह चर्च

PIC: Free will Baptist Church Baptist, Bareilly

आज यह चर्च संग्राम की यादें लिए कैंट क्षेत्र में स्थित है। यहां पर क्रिसमस के अवसर पर विशेष पूजा का आयोजन किया जाता रहा है। 1857 के गदर का साक्षी यह चर्च आज भी अपनी पूरी भव्यता के साथ खड़ा हुआ है। बरेली क्लब के सामने से यह चर्च ईसाइयों की आस्था का एक बड़ा केंद्र है। ये चर्च अभी दो वर्षों से बंद है। इसमें अब प्रार्थनाएं नहीं हो रही हैं। इस चर्च की लीज़ की अवधि खत्म हो गयी है। सरकार से इस मुद्दे पर मुकदमा चल रहा है।

जेम्स थॉमसन ईस्ट इंडिया कंपनी के ब्रिटिश एडमिनिस्ट्रेटर रहे थे। इनका जन्म 3 मई 1804 में यूनाइटेड स्टेट इंग्लैंड में ग्रेट शेलफोर्ड में हुआ था। यह भारत ब्रिटिश एडमिनिस्ट्रेटर बनकर आए थे। उसके बाद यह आजमगढ़ में भी मजिस्ट्रेट कलेक्टर रहे। बाद में तरक्की होते हुए नॉर्थ वेस्टर्न प्रोवियंस के लेफ्टिनेंट गवर्नर 1845 में बन गए। जेम्स थॉमसन ने भारत में स्थानीय भाषा में ग्रामीण शिक्षा के विकास हेतु एक व्यापक योजना लागू की थी। उन्होंने ही पहली बार महिला शिक्षा हेतु भी प्रयास किया था। उन्होंने निर्धारित किया था कि सरकारी संस्थानों में दी जाने वाली शिक्षा धर्मनिरपेक्ष हो।

जेम्स थॉमसन ने ही रुड़की में एक सिविल इंजीनियरिंग कॉलेज की स्थापना की मांग सबसे पहले की थी।

जेम्स थॉमसन की स्मृति में सिविल इंजीनियरिंग कॉलेज को थॉमसन कॉलेज का नाम दिया गया। 1949 में इसे विश्वविद्यालय का दर्जा प्राप्त हुआ। अब यह आईआईटी रुड़की के नाम से जाना जाता है

जेम्स थॉमसन ने ही रुड़की में इंजीनियरिंग कॉलेज की स्थापना की मांग

जेम्स थॉमसन ने ही रुड़की में एक सिविल इंजीनियरिंग कॉलेज की स्थापना की मांग सबसे पहले की थी। 1847 में गंगा नहर के लिए इंजीनियरों को प्रशिक्षित करने के लिए भारत में पहला सिविल इंजीनियरिंग कॉलेज खोला गया। नहर के डिजाइनर प्रोबी कॉटली द्वारा जेम्स थॉमसन की स्मृति में सिविल इंजीनियरिंग कॉलेज को थॉमसन कॉलेज का नाम दिया गया। 1949 में इसे विश्वविद्यालय का दर्जा प्राप्त हुआ। अब यह आईआईटी रुड़की के नाम से जाना जाता है। आगरा के एसएन मेडिकल कॉलेज की स्थापना भी जेम्स थॉमसन द्वारा की गई थी। तब जेम्स थॉमसन ने यहाँ एक छोटा अस्पताल खोला था। इस अस्पताल का नाम भी थॉमसन अस्पताल था।

Bareilly Cantt. Church

महारानी विक्टोरिया द्वारा जेम्स थॉमसन को मद्रास के गवर्नर के रूप में नियुक्त किया गया था लेकिन वे इस पद को संभालने के लिए जिंदा नहीं रहे। 27 सितंबर 1853 को उनकी मृत्यु बरेली में हो गई थी जहां वह अपनी विवाहिता बेटी मिनी के साथ रह रहे थे। इनकी कब्र इसी फ्री विल बेपटिस्ट चर्च में बनाई गई थी।

यह भी एक ऐतिहासिक बात है कि अंग्रेजों के गवर्नर की मृत्यु बरेली में हुई और यहीं के एक स्थानीय चर्च में उनको दफनाया गया और कब्र बनायी गयी। एकांत में बरसों से पड़ी इस कब्र पर कोई आता जाता नहीं। अपने जन्मस्थान से इतनी दूर जेम्स थॉमसन चुपचाप इस कब्र में सोया हुआ है। लेकिन ये जेम्स थॉमसन भला इंसान था तभी इन्होंने भारत की शिक्षा प्रणाली, महिलाओं की समुचित शिक्षा और व्यावसायिक शिक्षा के बारे में भी भारत में काम किये।स्वास्थ्य संबंधी सेवाओं को भी निरूपित किया।

जेम्स थॉमसन के किये कामों को हम भूल नहीं सकते। उनके किए काम आज बड़े रूप में हमारे सामने हैं।स्वतन्त्रता संग्राम के साक्षी ये फ्री विल बेपटिस्ट चर्च कैंट के एकांत में चीड़ों के पेड़ों से घिरा शांत चुपचाप खड़ा हुआ है।

  • डॉ राजेश शर्मा
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